Thursday, March 19, 2020

नई बयार


 लघुकथा                
                         नई  बयार
                                                    पवित्रा अग्रवाल 

     
  बेटे के घर पुत्री पैदा हुई थी पर  बेटे बहू कुछ उदास थे .उसी शहर में अपने पति के साथ अलग रह रही माँ  को पता चला तो वह मिठाई का डिब्बा लेकर अस्पताल पहुंची और दादी बनने की ख़ुशी में  नर्सों, मिलने आने वालों को मिठाई खिलाई .
माँ की इस हरकत पर बेटे बहू को बहुत गुस्सा आया
‘माँ हमारे बेटा नहीं बेटी हुई है’
‘हाँ मुझे मालूम है लक्ष्मी आई है.’
‘माँ , माता पिता से अधिक दादा दादी को पोते की चाह होती है और तुम पोती के आने की ख़ुशी में लड्डू बाँट रही हो ’
‘बेटा पहली बात तो मुझे बेटियां भी उतनी ही प्यारी है जितने बेटे .वैसे भी मैं ने बेटी का सुख कहाँ जाना है. भगवान ने बेटी दी ही नहीं और तू भी उदास मत हो समय बदल रहा है , आज बेटियां भी किसी से कम नहीं हैं’
‘फिर भी ...
 ‘ फिर भी क्या बेटा ?... आज कल बहुत से घरों में बेटे के घर माता पिता को प्रवेश नहीं मिलता ,बेटी के घर में फिर भी थोड़ी पूछ हो जाती है .अपनी सास को ही देख लो उनको तुम लोग जितनी इज्जत देते हो उनका बेटा कहाँ देता है ?..तो बेटा जैसी चले बयार पीठ तब तैसी दीजे '
     
                          ईमेल – agarwalpavitra78@gmail.com
                                           
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3 Comments:

At March 19, 2020 at 3:47 AM , Blogger डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर और सार्थक

 
At May 25, 2020 at 11:03 PM , Blogger http://bal-kishor.blogspot.com/ said...

धन्यवाद

 
At May 25, 2020 at 11:04 PM , Blogger http://bal-kishor.blogspot.com/ said...

आभार आदरणीय

 

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