कुंडली दोष
लघुकथा
कुंडली दोष
पवित्रा अग्रवाल
‘हैलो पापा रिया की शादी की बात आगे बढ़ी या नहीं ?’
‘बेटा तेरे कहने पर मैं रिया की शादी उसके पसंद के लडके से करने को राजी हो गया था...रोहित के माता पिता से मिल भी आया था.अच्छे लोग हैं…कोई मांग भी नहीं है .वे तो जन्मपत्री आदि मैं भी विश्वास नहीं करते पर हम तो करते हैं न .इसलिए मैं उनसे रोहित की जन्मपत्री लाया था .पर उन दोनों की कुंडली बिलकुल नहीं मिल रही.दूसरी बात रोहित मंगली है पर रिया मंगली नहीं है.पंडित जी के हिसाब से यह शादी बिलकुल नहीं करनी चाहिए '
‘तो फिर आपने क्या सोचा ?...रिया ने यह सब सुन कर क्या कहा ?’
‘रिया जिद्द कर रही है कि शादी करेगी तो रोहित से ही वरना नहीं करेगी '
‘पापा आप भी कुंडली के चक्कर में कहाँ पड़ गए ?...ताऊ जी के बेटे श्रवण की शादी पूरी तरह से पंडितों के हिसाब से हुई थी.उसमे कुंडली मिलाने से लेकर सगाई, शादी फेरे ,विदा हर एक रस्म पंडितों के हिसाब से मुहूर्त निकाल कर हुई थी ...पर क्या हुआ ? वह शादी एक महीने भी नहीं चली .दुल्हन ने दहेज़ और प्रतारणा का आरोप लगा कर सब को अन्दर करा दिया था और केस अभी भी खतम नहीं हुआ है.फिर भी पंडितों के मायाजाल से आपका मोहभंग नहीं हुआ ? ‘
‘बेटा कह तो तुम ठीक रहे हो पर मन में बहम तो हो ही जाता है .अब तुम ही बताओ मैं क्या करूँ ?’
‘पापा ज्यादा मत सोचिये .बहम को झटक कर शादी के लिए हाँ कर दीजिये ’
‘ठीक है बेटा तो सब से पहले यह खुशखबरी रिया को ही देता हूँ ’
-पवित्रा अग्रवाल
email - agarwalpavitra78@gmail.com
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1 Comments:
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