पर उपदेश
लघु कथा
पवित्रा अग्रवाल
पर उपदेश
पड़ौसी मूर्ति जी ने घर में प्रवेश करते हुए कहा--"नमस्ते शुक्ला जी ''
"नमस्ते,नमस्ते मूर्ति जी,कहिये कैसे हैं ?''
"अच्छा हूँ,उस दिन हिन्दी दिवस पर आपका लैक्चर बहुत अच्छा रहा , बैंक में सभी बहुत तारीफ कर रहे थे।आपकी एक बात तो मुझे बहुत अच्छी लगी कि हमे अपनी मात्र भाषा का पेपर भी घर में अवश्य लेना चाहिए ।मैं पहले केवल इंगलिश का पेपर ही लेता था, अब तेलगू का भी लेने लगा हूँ।...मुझे थोड़ी देर के लिए आपका हिन्दी पेपर चाहिए।''
शुक्ला जी मन ही मन परेशान हो उठे।अब क्या करूँ ,हिन्दी का पेपर तो मैं लेता नहीं, इन्हें कहाँ से दूँ।...वह कोई उपयुक्त बहाना बना पाते उस से पहले ही उनका बेटा बोल पड़ा -- "अंकल हमारे यहाँ हिन्दी का पेपर नहीं आता है ।'
झेंपते हुए शुक्ला जी ने कहा -"असल में घर में कोई पढ़ता नहीं है और मैं कालेज में पढ़ लेता हूँ ।'
"नो प्रोबलम शुक्ला जी मैं मार्केट से मंगा लूँगा ।'
-- ईमेल - agarwalpavitra78@gmail.com
"नमस्ते,नमस्ते मूर्ति जी,कहिये कैसे हैं ?''
"अच्छा हूँ,उस दिन हिन्दी दिवस पर आपका लैक्चर बहुत अच्छा रहा , बैंक में सभी बहुत तारीफ कर रहे थे।आपकी एक बात तो मुझे बहुत अच्छी लगी कि हमे अपनी मात्र भाषा का पेपर भी घर में अवश्य लेना चाहिए ।मैं पहले केवल इंगलिश का पेपर ही लेता था, अब तेलगू का भी लेने लगा हूँ।...मुझे थोड़ी देर के लिए आपका हिन्दी पेपर चाहिए।''
शुक्ला जी मन ही मन परेशान हो उठे।अब क्या करूँ ,हिन्दी का पेपर तो मैं लेता नहीं, इन्हें कहाँ से दूँ।...वह कोई उपयुक्त बहाना बना पाते उस से पहले ही उनका बेटा बोल पड़ा -- "अंकल हमारे यहाँ हिन्दी का पेपर नहीं आता है ।'
झेंपते हुए शुक्ला जी ने कहा -"असल में घर में कोई पढ़ता नहीं है और मैं कालेज में पढ़ लेता हूँ ।'
"नो प्रोबलम शुक्ला जी मैं मार्केट से मंगा लूँगा ।'
-- ईमेल - agarwalpavitra78@gmail.com
-पवित्रा अग्रवाल
Labels: लघु कथा
3 Comments:
बहुत ही शानदार रचना।
धन्यवाद कहकशां जी
धन्यवाद शास्त्री जी
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