मौहब्बत
लघु कथा
मौहब्बत
पवित्रा अग्रवाल
सुनो शादी के सात सालों मे तुम पाँच बच्चो के अब्बा बन गये और छठे के बनने वाले हो। कुछ नही किया तो दस बारह बच्चो के अब्बा हो जाओगे।हाथ भी कितना तंग रहता है...तुम बोलो तो मै इस बार आप्रेशन करा लूँ ?'
"नक्को कोइ जरूरत नही।अब्बा-अम्मी को मालुम हुआ तो फजीता करते।'
"अपने अब्बा-अम्मी की फिकर है ,बच्चों की और मेरी नही....लगता तुम मुझ से अब पहले सी मौहब्बत नही करते।'
"आप्रेशन का मौहब्बत से क्या रिश्ता है?
"रिश्ता है, बहुत बड़ा रिश्ता है...तुमको मालुम न मेरी अम्मी की मौत कैसे हुइ थी?'
" हौ,मालुम...जच्चगी के वखत हुइ थी।'
"ये भूल गये कि पन्द्रहवी जच्चगी के वखत हुइ थी।...उनको भी अब्बा आप्रेशन नही कराने दिये थे।अम्मी तो अल्ला को प्यारी हो गयी।अब्बा दूसरी को घर ला लिये,वो तो अच्छा है उसको बच्चे नही हुये।अब्बा की सारी कमाइ इतने बड़े खानदान का पेट भरने मे ही चली जाती है ।अब तक बस मेरा निकाह कर पाये हैं दूसरी बहने निकाह के इंतजार मे घर बैठ कर बुड्ढ़ी हो रही हैं।भायाँ भी इघर उधर छोटे-छाटे कामा कर रऐ,एक पैट्रोल पम्प पे, एक पान के डब्बे पे,एक चाय की दुकान पे । बिना तालीम के ऐसे ही कामा करने पड़ते।सोहबत भी अच्छी नही है, परसो अजहर स्कूटर चोरी के इल्जाम मे पकड़ा गया।तुम चाहते कि हमारे बच्चों के साथ भी ऐसा ही हो ? तुम काम पे चले जाते मै एसी हालत मे भी सिलाइ का काम करती तब भी हाथ तंग रहता।.... पता नही क्यो इस मरतबा मेरे को बहुत डर लगरा है...बुरे-बुरे ख्वावाँ आ रहे है....ऐसे वखत में अम्मी की तरह मै भी अल्ला को प्यारी हो गइ तो ?'......बात करते हुये नजमा की आँखें भर आयी और वो खामोश हो गइ।
" बस अब चुप कर...तू ठीक बोल रही है।इस जचगी के बखत डाक्टर को बोल के तेरा आप्रेशन करा देता।'
"तुम सच बोल रए...फिर तुम्हारे अब्बा- अम्मी....?'
"उनकी फिकर तू नक्को कर।'
फिर वह शरारत से बोला - "जो बीबी को करते प्यार वह आप्रेशन से कैसे करे इनकार।'
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सुनो शादी के सात सालों मे तुम पाँच बच्चो के अब्बा बन गये और छठे के बनने वाले हो। कुछ नही किया तो दस बारह बच्चो के अब्बा हो जाओगे।हाथ भी कितना तंग रहता है...तुम बोलो तो मै इस बार आप्रेशन करा लूँ ?'
"नक्को कोइ जरूरत नही।अब्बा-अम्मी को मालुम हुआ तो फजीता करते।'
"अपने अब्बा-अम्मी की फिकर है ,बच्चों की और मेरी नही....लगता तुम मुझ से अब पहले सी मौहब्बत नही करते।'
"आप्रेशन का मौहब्बत से क्या रिश्ता है?
"रिश्ता है, बहुत बड़ा रिश्ता है...तुमको मालुम न मेरी अम्मी की मौत कैसे हुइ थी?'
" हौ,मालुम...जच्चगी के वखत हुइ थी।'
"ये भूल गये कि पन्द्रहवी जच्चगी के वखत हुइ थी।...उनको भी अब्बा आप्रेशन नही कराने दिये थे।अम्मी तो अल्ला को प्यारी हो गयी।अब्बा दूसरी को घर ला लिये,वो तो अच्छा है उसको बच्चे नही हुये।अब्बा की सारी कमाइ इतने बड़े खानदान का पेट भरने मे ही चली जाती है ।अब तक बस मेरा निकाह कर पाये हैं दूसरी बहने निकाह के इंतजार मे घर बैठ कर बुड्ढ़ी हो रही हैं।भायाँ भी इघर उधर छोटे-छाटे कामा कर रऐ,एक पैट्रोल पम्प पे, एक पान के डब्बे पे,एक चाय की दुकान पे । बिना तालीम के ऐसे ही कामा करने पड़ते।सोहबत भी अच्छी नही है, परसो अजहर स्कूटर चोरी के इल्जाम मे पकड़ा गया।तुम चाहते कि हमारे बच्चों के साथ भी ऐसा ही हो ? तुम काम पे चले जाते मै एसी हालत मे भी सिलाइ का काम करती तब भी हाथ तंग रहता।.... पता नही क्यो इस मरतबा मेरे को बहुत डर लगरा है...बुरे-बुरे ख्वावाँ आ रहे है....ऐसे वखत में अम्मी की तरह मै भी अल्ला को प्यारी हो गइ तो ?'......बात करते हुये नजमा की आँखें भर आयी और वो खामोश हो गइ।
" बस अब चुप कर...तू ठीक बोल रही है।इस जचगी के बखत डाक्टर को बोल के तेरा आप्रेशन करा देता।'
"तुम सच बोल रए...फिर तुम्हारे अब्बा- अम्मी....?'
"उनकी फिकर तू नक्को कर।'
फिर वह शरारत से बोला - "जो बीबी को करते प्यार वह आप्रेशन से कैसे करे इनकार।'
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-पवित्रा अग्रवाल
ईमेल -- agarwalpavitra78@gmail.com
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