फिजूलखर्ची
लघु कथा
फिजूलखर्ची
"अरे पापा हिन्दी से कब किस का भला होंने वाला है ? जिन्दगी में कुछ बनने के लिये इंगलिश जरूरी है फिर घर में दो इंगलिश के पेपर आते ही हैं, साथ में एक हिन्दी पेपर भी लेना क्या फिजूल खर्ची नहीं होगा ?'
"बेटा कैरियर के हिसाब से तुम्हारी बात सही हो सकती है किन्तु हिन्दी पढ़ना या जानना कैरियर में बाधक तो नहीं हैं ।..यदि हम हिन्दी भाषी ही अपनी भाषा की इस तरह उपेक्षा करेंगे तो हमारे बच्चे अपनी भाषा पढ़ना ही नहीं बोलना व समझना भी भूल जायेगे...रही बात फिजूलखर्ची की तो बेटा एक - दो पीजा की कीमत में एक महीने का समाचार पत्र तो आ ही जाता है।'
"हाँ पापा आप ठीक कह रहे हैं,आगे से घर में एक हिन्दी का पेपर जरूर आयेगा ।'
email -- agarwalpavitra78@gmail.com
पवित्रा अग्रवाल
कुछ दिन के लिये बेटे के पास रहने आये पिता ने सुबह उठते ही न्यूज पेपर्स और इंगलिश मैगजीन्स के बीच कुछ ढ़ूंढ़ते हुए पुत्र से पूछा--"तुम कोई हिन्दी का समाचार पत्र नहीं लेते ?'"अरे पापा हिन्दी से कब किस का भला होंने वाला है ? जिन्दगी में कुछ बनने के लिये इंगलिश जरूरी है फिर घर में दो इंगलिश के पेपर आते ही हैं, साथ में एक हिन्दी पेपर भी लेना क्या फिजूल खर्ची नहीं होगा ?'
"बेटा कैरियर के हिसाब से तुम्हारी बात सही हो सकती है किन्तु हिन्दी पढ़ना या जानना कैरियर में बाधक तो नहीं हैं ।..यदि हम हिन्दी भाषी ही अपनी भाषा की इस तरह उपेक्षा करेंगे तो हमारे बच्चे अपनी भाषा पढ़ना ही नहीं बोलना व समझना भी भूल जायेगे...रही बात फिजूलखर्ची की तो बेटा एक - दो पीजा की कीमत में एक महीने का समाचार पत्र तो आ ही जाता है।'
"हाँ पापा आप ठीक कह रहे हैं,आगे से घर में एक हिन्दी का पेपर जरूर आयेगा ।'
email -- agarwalpavitra78@gmail.com
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2 Comments:
जय हिन्दी जय नागरी।
धन्यवाद शास्त्री जी .
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