अनुमान
लघु कथा
अनुमान
पवित्रा अग्रवाल
बिग बाजार में प्रवेश करते ही वर्मा जी की नजर अपने परिचित राम बाबू पर पड़ी तो वह खुश होते हुए उनके पास पहुँच गये ---"नमस्ते राम बाबू ,अकेले अकेले क्या शोपिंग हो रही है ?'
"नमस्ते,नमस्ते वर्मा जी , असल में हम दोनों एक सप्ताह बाद तीन महिने के लिए बेटे के पास अमेरिका जा रहे हैं,बस उसी की कुछ तैयारी चल रही हैं ?'
"अच्छा तो आप दादा बनने वाले हैं ?'
चौंकते हुए राम बाबू बोले -"हाँ, पर आपको कैसे पता ?'
वर्मा जी के मुँह से निकलने को था कि अक्सर ऐसा ही होता है किन्तु अपने को संभालते हुए बोले --"बस ऐसे ही"आपके चेहरे पर बिखरी खुशी देख कर अनुमान लगाया था पर मेरा अनुमान तो सही निकला ।.. एडवान्स में मेरी बधाई स्वीकार करिये ।'
ईमेल -- agarwalpavitra78@gmail.com
-पवित्रा अग्रवाल
Labels: लघु कथा
5 Comments:
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन ट्रेन छूटे तो २ घंटे मे ले लो रिफंद, देर हुई तो मिलेगा बाबा जी का ठुल्लू मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
गहरा व्यंग छुपा है इस कहानी में ... पर कितना सच्चा ...
dhanyvad shashti ji pasand karane aur charcha manch par dalane ke liye.
dhanyvad digambar ji l k pasand karane aur comment dene ke liye .
ticket ke sandarbh me janakari dene aur meri laghu katha ko isthan dene ke liye bahut dhanyavad shivam ji.
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