Thursday, June 6, 2013

जन्नत


लघु कथा   
 
                             जन्नत

                                                               पवित्रा अग्रवाल
 
 
 "सलीम भाई इतनी जल्दी में कहाँ जा रहे हो ?'
 "साहब से छुट्टी लेने जा रहा हूँ।'
 "कोई खास बात ?'
 "हाँ अभी घर से फोन आया है,हमारी सास का इंतकाल हो गया है।'
 "बीमार थीं ?'
 "नहीं बीमार तो नहीं थीं,पेगनेन्ट थीं।बच्चा बच गया, सास की मौत हो गई।'
 "तुम्हारी बीबी भी पेगनेन्ट है न ?'
 "हाँ माँ-बेटी दोनो पेगनेन्ट थीं।'
 "तुम्हारी बीबी के कितने बहन-भाई हैं ?'
 "हमारी बीबी को मिला कर तेरह बहन भाई हैं ।हमारी बीबी सब से बड़ी है और अभी सब कुवाँरे   हैं।..अल्ला जाने उन बच्चों का क्या होगा अब ।'
 "मतलब ये चौदवाँ बच्चा पैदा हुआ है ?...इस जमाने में इतने साधन होते हुए भी ..
 "हाँ मैडम,हमारे ससुर बहुत पुराने ख्यालात के हैं,पिछली दो जच्चगी में भी हमारी सास बहुत मुश्किल  से बची थीं फिर भी उनको अक्ल नहीं आई,बोलते थे जच्चगी में मौत हुई तो सीधे जन्नत मिलेगी।'
 

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-पवित्रा अग्रवाल
 
 
 

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