हर्जाना
लघु कथा
हर्जाना
पवित्रा अग्रवाल
"सुनो अपनी मुन्नी तो पहले से ही बहुत बीमार थी ...डाक्टर भी जवाब दे चुके थे ।मर गई तो तुम ने डाक्टरों से मार पीट क्यों की ?....अब चले गए न वो हड़ताल पर ।'
"हमारी मुन्नी तो चली गई अब उनके हड़ताल पर जाने या न जाने से हमें क्या फरक पड़ता है ?'
"पर दूसरे मरीजों को फरक पड़ता है । इलाज न हो पाने से मरने वालों की संख्या कितनी बढ़ जाएगी इसका तुम्हें अंदाजा है ?'
"अरी चुप्प ,तूने दुनिया भर का ठेका ले रखा है क्या ?..डाक्टरों पर लापरवाही का इल्जाम लगा के मारपीट करने से हो सकता है हमें कुछ हर्जाना मिल जाए।''
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हर्जाना
पवित्रा अग्रवाल
"सुनो अपनी मुन्नी तो पहले से ही बहुत बीमार थी ...डाक्टर भी जवाब दे चुके थे ।मर गई तो तुम ने डाक्टरों से मार पीट क्यों की ?....अब चले गए न वो हड़ताल पर ।'
"हमारी मुन्नी तो चली गई अब उनके हड़ताल पर जाने या न जाने से हमें क्या फरक पड़ता है ?'
"पर दूसरे मरीजों को फरक पड़ता है । इलाज न हो पाने से मरने वालों की संख्या कितनी बढ़ जाएगी इसका तुम्हें अंदाजा है ?'
"अरी चुप्प ,तूने दुनिया भर का ठेका ले रखा है क्या ?..डाक्टरों पर लापरवाही का इल्जाम लगा के मारपीट करने से हो सकता है हमें कुछ हर्जाना मिल जाए।''
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Labels: लघु कथा
2 Comments:
वाह . बहुत उम्दा,
http://madan-saxena.blogspot.in/
http://mmsaxena.blogspot.in/
http://madanmohansaxena.blogspot.in/
http://mmsaxena69.blogspot.in/
madan ji thanks is blog par aane aur tippani dene ke liye .
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