सौतेला व्यवहार
लघु कथा
सौतेला व्यवहार
पवित्रा अग्रवाल
बार बालायें आक्रोश में थीं---" हम बार में डांस करते हैं तो क्या गलत करतें हैं ?'
"डाँस करना गलत नहीं हैं,अश्लील हरकतो कें साथ डांस करना गलत हैं।.. आप लोगों पर यह भी आरोप है कि आप सब बहुत कम कपड़ों में डांस करती हैं।''
"पत्रकार बाबू यह आरोप हरेक के लिये सही नही है,हाँ कुछ ऐसा भी करती होंगी पर हमारे दर्शक आम आदमी नहीं हैं,न हम पब्लिक प्लेसेज में ऐसा करते हैं ।एक बार में बन्द जगह में लिमिटेड लोगों के बीच हम नाचते हैं और हमारे दर्शक सब एडल्ट होते हैं बच्चे नहीं...''
"देखिये गलत तो गलत हैं..'
"पहले मुझे बात तो खत्म करने दीजिये, ठीक है हम जो करते हैं वह सही नहीं है किन्तु टीवी पर खुले आम जो वीडियो एलबम दिखाये जा रहे हैं उनकी बालायें वस्त्रों में, हरकतों में हम से कहाँ कम हैं ? ....क्या मैं गलत कह रही हूँ ? '
"नहीं आप की बात भी गलत नहीं है ।'
दूसरी बार बाला ने कहा--"फिल्मों में जो बैडरूम सीन दिये जा रहे हैं या जो डांस परोसे जा रहे हैं, वह पूरे देश में बच्चें बूढ़े सभी देख रहे हैं ।सच कहें तो अपने परिवार के साथ उन दृश्यों को देखते हुए हम भी शर्म से पानी पानी हो जाते हैं । उन्हें रोक कर दिखायें... पर उन पर कोई प्रतिबन्ध नहीं है, बस बार बालाओं के पीछे पड़े हैं।हमारी रोजी रोटी छीन रहे हैं...कुछ को वैश्या वृत्ति की ओर धकेल रहे हैं ...क्या यह सौतेला व्यवहार नहीं है ?"
"डाँस करना गलत नहीं हैं,अश्लील हरकतो कें साथ डांस करना गलत हैं।.. आप लोगों पर यह भी आरोप है कि आप सब बहुत कम कपड़ों में डांस करती हैं।''
"पत्रकार बाबू यह आरोप हरेक के लिये सही नही है,हाँ कुछ ऐसा भी करती होंगी पर हमारे दर्शक आम आदमी नहीं हैं,न हम पब्लिक प्लेसेज में ऐसा करते हैं ।एक बार में बन्द जगह में लिमिटेड लोगों के बीच हम नाचते हैं और हमारे दर्शक सब एडल्ट होते हैं बच्चे नहीं...''
"देखिये गलत तो गलत हैं..'
"पहले मुझे बात तो खत्म करने दीजिये, ठीक है हम जो करते हैं वह सही नहीं है किन्तु टीवी पर खुले आम जो वीडियो एलबम दिखाये जा रहे हैं उनकी बालायें वस्त्रों में, हरकतों में हम से कहाँ कम हैं ? ....क्या मैं गलत कह रही हूँ ? '
"नहीं आप की बात भी गलत नहीं है ।'
दूसरी बार बाला ने कहा--"फिल्मों में जो बैडरूम सीन दिये जा रहे हैं या जो डांस परोसे जा रहे हैं, वह पूरे देश में बच्चें बूढ़े सभी देख रहे हैं ।सच कहें तो अपने परिवार के साथ उन दृश्यों को देखते हुए हम भी शर्म से पानी पानी हो जाते हैं । उन्हें रोक कर दिखायें... पर उन पर कोई प्रतिबन्ध नहीं है, बस बार बालाओं के पीछे पड़े हैं।हमारी रोजी रोटी छीन रहे हैं...कुछ को वैश्या वृत्ति की ओर धकेल रहे हैं ...क्या यह सौतेला व्यवहार नहीं है ?"
पवित्रा अग्रवाल
Labels: लघु कथा
10 Comments:
good point
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 17- 07- 2014 को चर्चा मंच पर चर्चा - 1677 में दिया गया है
आभार
सार्थक लघुकथा।
थैंक्स पुनीत जी
धन्यवाद दिलबाग जी चर्चा मंच में शामिल करने के लिए .
आदरणीय शाश्त्री जी लघु कथा आप को अच्छी लगी जान कर हर्ष हुआ ,बहुत बहुत धन्यवाद .
बहुत बार यह सवाल दिमाग में आया.. लेकिन जवाब कहीं नहीं मिला...
धन्यवाद प्रतिभा जी.अनेकों सवाल और सवालों से जूझना भी लिखने को मजबूर करता है
इस लघुकथा के द्वारा आपने जो दर्शाया वह बहुत सराहनीय है। बहुत खुब
धन्यवाद विम्मी जी अपने विचार मुझ तक पहुँचाने के लिए
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