Friday, August 1, 2014

प्राणी रक्षक


 लघु कथा
                                  प्राणी रक्षक
                                                                           पवित्रा अग्रवाल

 पेरा रामू लुटा पिटा सा घर पहुँचा ।उसे देखते ही उसका बेटा चहका - "अरे बाबा आज तो नाग पंचमी हैं खूब कमाई हुई होगी ...आज तो पेट भर अच्छा खाना मिलेगा न ?'
 सपेरा चुप रहा ।
 "बाबा आप चुप क्यों हैं ? ...साँप की पिटारी भी आपके हाथ में नहीं है,क्या हुआ बाबा ?'
 "आज का दिन बहुत खराब गया बेटा ।साँप की पिटारी प्राणी रक्षक समिति के सदस्यों ने छीन ली ।'
 "क्यों बाबा ....वो उसका क्या करेंगे ?'
 "वो सांपों को जंगल में ले जा कर छोड़ देंगे ।वो कह रहे थे हम अपने धंधे के लिये सांपों को कष्ट देते हैं, जो गलत है ।'
 "उनकी यह बात तो गलत है बाबा।आपने उनसे कहा नहीं कि जानवरों पर इतनी दया आती है तो बकरीद पर कटने वाले उन लाखों निरीह बकरों को कटने से रोक कर दिखायें जिन्हें उस दिन काटा जाता है ।...सांप तो फिर भी काट कर आदमी की जान ले लेता है पर ये बकरे तो ..।'
 "क्या कहता बेटा उन्हों ने कुछ बोलने ही नहीं दिया वो तो पुलिस बुलाने की धमकी दे रहे थे "

-पवित्रा अग्रवाल
 

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7 Comments:

At August 3, 2014 at 6:08 AM , Blogger Navratri said...

अच्छी कहानी है , मेरे साईट पर भी पधारे
laghukahanikatha.blogspot.com

 
At August 14, 2014 at 1:25 AM , Blogger katha said...

bhut hi acha likha hai
Amit malik

 
At August 14, 2014 at 8:59 AM , Blogger http://bal-kishor.blogspot.com/ said...

dhanyavad hemant ji aapke blog par bhi aaungi.

 
At August 14, 2014 at 9:00 AM , Blogger http://bal-kishor.blogspot.com/ said...

dhanyvad amit ji.

 
At August 15, 2014 at 6:33 AM , Blogger aaliya said...

very nicew

 
At August 15, 2014 at 6:34 AM , Blogger aaliya said...

very nice G

 
At August 28, 2014 at 8:48 AM , Blogger http://bal-kishor.blogspot.com/ said...

thanks aaliya ji

 

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