Wednesday, October 1, 2014

रघु कुल रीति

लघु कथा

                                          रघु कुल रीति

                                                                  पवित्रा अग्रवाल
  
        रामायण के अखंड पाठ की समाप्ति के बाद दादी को फुरसत से बेठे देख कर तनुजा ने उनसे पूछा  -- "दादी एक बात बतायें, क्या राम सचमुच बहुत अच्छे थे ?'
 "अच्छे थे तभी तो उन्हें भगवान का दर्जा प्राप्त है।'
 "दादी राम की कुछ अच्छी बातें बताइये।'
 "तनु वह वीर और पराक्रमी तो थे ही ।पितृ भक्त भी थे ,पिता के वचन को निभाने के लिये वह राज सुख और राज मोह दोनो छोड़ कर चौदह वर्ष को वन वास पर चले गये थे।तुम्हें पता है न कि अपने पिता के किस वचन को निभाने के लिये राम को वन जाना पड़ा था ?'
 "हाँ दादी पता है। टी.वी. पर जो रामायण प्रसारित होता था न उसी में देखा था कि एक बार कैकैयी ने युद्ध में दशरथ जी की मदद की थी तब खुश हो कर उन्हों ने केकैयी को उनकी दो इच्छायें पूरी करने का वचन दिया था...और केकैयी ने राम के राज तिलक से पहले दशरथ से अपने पुत्र भरत के लिये राजगद्दी और राम के लिये वनवास माँग लिया था।'
 "हाँ बेटा और राम अपने पिता के इसी वचन को पूरा करने के लिये वन चले गये थे,एक आज के बच्चे हैं जो माँ बाप को तो कुछ समझते ही नहीं।'
  "आज की बात अभी छोड़ो दादी ...मुझे तो अभी राम के बारे में ही आप से कुछ और जानना है। दादी दुख सुख में साथ निभाने  का एक वचन तो उन्होंने शादी के समय सीता को भी दिया होगा ?'
 "हाँ दिया था तभी तो रावण से सीता को मुक्त कराने के लिये उन्होंने रावण से युद्ध कर के सीता की रक्षा की थी ।'
 "क्या दादी उन्होंने रावण के चंगुल से तो सीता को छुड़ा लिया पर बाद में क्या किया ?एक धोबी के कहने पर उन्होने अपनी गर्भवती पत्नी सीता को जंगलों में अकेला भटकने को छोड़ दिया था ।'
 "हाँ बेटा कभी कभी राजा को राजधर्म निभाने के लिये अपने व्यक्तिगत सुखों का भी त्याग करना पड़ता है।'
 "वजह कोई भी हो दादी पर उन्होंने अपनी पत्नी को दिया गया वचन तो तोड़ा ही न।वह अपना वचन निभाने के लिये राज सिंहासन भी तो छोड़ सकते थे।'
 उसकी बातों से दादी झल्ला कर बोली -"बस अब तू जा... तेरी इन बातों का मेरे पास कोई जवाब नहीं है।'     


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-पवित्रा अग्रवाल
 
 
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4 Comments:

At October 1, 2014 at 8:03 PM , Anonymous Anonymous said...

excellent !

 
At October 1, 2014 at 11:41 PM , Blogger http://bal-kishor.blogspot.com/ said...

thanks puneet ji

 
At October 1, 2014 at 11:43 PM , Blogger http://bal-kishor.blogspot.com/ said...

bahut dhanyvad Dilbzg ji .

 
At October 2, 2014 at 5:19 AM , Blogger http://bal-kishor.blogspot.com/ said...

आदरणीय शास्त्री जी
आपको लघु कथा पसंद आई ,आभार। दशहरा दीपावली की आपको भी शुभकामनायें। शास्त्री जी मै बहुत दूर बैठी हूँ बस इसी वजह से बाल साहित्य के होने वाले सम्मेलनों में शामिल नहीं हो पाती। कहीं की भी यहाँ से सीधी ट्रैन सेवा नहीं है अभी सितम्बर में ही दिल्ली और देहरादून हो कर आई हूँ। खटीमा आना नहीं हो पायेगा।

 

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