उलझन
लघु कथा
उलझन
पवित्रा अग्रवाल
उलझन
पवित्रा अग्रवाल
प्रश्न पत्र पढ़ते हुए माँ ने बेटी से पूछा --"पिंकी प्रश्न है हमारी राष्ट्र भाषा कौन सी है, तुमने क्या लिखा ?'
"मम्मी मेरी बेवकूफी से यह सवाल गलत हो गया । मुझे हिन्दी लिखना चाहिए था पर मैं अंग्रेजी लिख आई । '
"क्या तुम्हें नहीं पता था ?'
"पता था माँ पर उत्तर लिखते समय दो दिन पहले की एक बात याद आ गई और मैं उलझन में पड़ गई ।'
"दो दिन पहले ऐसा क्या हुआ था ?''
"मैं ने आपको बताया तो था माँ ।हमारे स्कूल में हिन्दी में बात करना बिल्कुल मना है।मुझे कक्षा में हिन्दी में बात करते देख कर टीचर ने मुझे बेंन्च पर खड़ा कर दिया था ।...यह बात याद आते ही मैं ने सोचा यदि हमारी राष्ट्र भाषा हिन्दी होती तो उसके बोलने पर मुझे सजा क्यों मिलती ?....बस यहीं मुझ से गल्ती हो गई । ''
"मम्मी मेरी बेवकूफी से यह सवाल गलत हो गया । मुझे हिन्दी लिखना चाहिए था पर मैं अंग्रेजी लिख आई । '
"क्या तुम्हें नहीं पता था ?'
"पता था माँ पर उत्तर लिखते समय दो दिन पहले की एक बात याद आ गई और मैं उलझन में पड़ गई ।'
"दो दिन पहले ऐसा क्या हुआ था ?''
"मैं ने आपको बताया तो था माँ ।हमारे स्कूल में हिन्दी में बात करना बिल्कुल मना है।मुझे कक्षा में हिन्दी में बात करते देख कर टीचर ने मुझे बेंन्च पर खड़ा कर दिया था ।...यह बात याद आते ही मैं ने सोचा यदि हमारी राष्ट्र भाषा हिन्दी होती तो उसके बोलने पर मुझे सजा क्यों मिलती ?....बस यहीं मुझ से गल्ती हो गई । ''
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Labels: लघु कथा
3 Comments:
लेकिन पिंकी को पूरे मार्क्स मिलेंगे क्योंकि हमारी राष्ट्रभाषा अंग्रेज़ी ही तो है, हिंदी तो दिलबहलाने वाला खिलौना है:)
कटु सत्य.
chandra moleshwar ji aur Rishabh ji dono ko mera aabhar.
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