Monday, July 1, 2013

झापड़


लघु कथा   
                                 
     झापड़                                                                                     
                                                                          पवित्रा अग्रवाल
 
      मैके आयी रंजना का अपनी भाभी चंदा से किसी बात पर झगड़ा हो गया।दोनो ने एक दूसरे को  खरी खोटी सुनाई । विधवा माँ ने दोनो को शान्त करने की कई बार कोशिश की किन्तु दोनो ही उलझती रहीं ।''
        शाम को पति गिरीश के घर लौटने पर चंदा ने रो-रो कर उस से रंजना की शिकायत की।
गिरीश को बहुत गुस्सा आया -"अच्छा ,कहाँ है रंजना ...उसे यहाँ बुला कर ला ।''
    - "पर वह तो वापस चली गई ।'
      गुस्से में भुनभुनाता हुआ वह माँ के पास गया -"माँ तुम्हारे सामने, तुम्हारी बेटी ने चंदा को इतना उल्टा सीधा कहा... उस की इंसल्ट की और तुम चुपचाप देखती रहीं ?'
     -" तो मैं क्या करती ?''
 " भाभी से इस तरह बोलने की उस की हिम्मत कैसे हुई....तुमने उस को एक झापड़ क्यों नही मारा ?'
        "चंदा ने भी उस से कुछ कम नही कहा...फिर बेटी को ही झापड़ क्यों मारती ?'
        "घर में छोटे-बड़े का भी कुछ लिहाज करना चाहिए कि नहीं ? चंदा उसकी बड़ी भाभी है, कुछ कह भी दिया तो क्या लौट कर जवाब देना जरूरी था ?'
       "चंदा उस से बड़ी थी पर मैं तो शायद इस घर में तुम सब से छोटी  हूँ ...  तभी चंदा  की तरफ ले कर मुझ  से इस तरह बोल रहा है और अक्सर बोलता है,तेरी इस बद्तमीजी के लिये तुझे झापड़ मारने को किस से कहूँ ?...''

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-पवित्रा अग्रवाल
 

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2 Comments:

At July 22, 2013 at 5:37 AM , Blogger मुकेश कुमार सिन्हा said...

maa to bete se chhoti hi hoti hai ... har samay :)

 
At July 28, 2013 at 5:56 AM , Blogger http://bal-kishor.blogspot.com/ said...

han ab esa hi lagane laga hai, dhanyvad mukesh ji tippani dene ke liye .

 

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