Monday, October 2, 2017

वास्तुदोष

लघुकथा   
               वास्तुदोष 
                                           पवित्रा अग्रवाल

       सुबह सैर पर जाते समय पड़ोसी  रेड्डी जी  ने बताया -- 'गुप्ता जी आपको मालूम है कि  डागा जी  आई. सी. यू.  में है ?'
      'नहीं , मुझे तो नहीं मालुम ,क्या हुआ उनको ?'
"सुना है कि  ब्रेन हैमरेज हुआ है, अभी कोमा में हैं। "
 'अच्छा !  उन से मेरी मुलाकात तो चार पांच महीने पहले तभी हुई थी जब वह अपने दूसरे मकान  में रहने जा रहे थे।  तब  मैने उन से पूछा भी था कि डागा जी आपने इतने मन से यह मकान बनवाया था ,अब इसे छोड़ कर दूसरे मकान में क्यों जा रहे है ?
    ' फिर उन्होंने  क्या कहा  ?'
     वह बोले -"जब से इस मकान में आया हूँ ,स्वास्थ्य ठीक नहीं चल रहा ,इस में कुछ वास्तु दोष हैं। "
    मैने  ने कहा था  यदि  वास्तु दोष ही आपकी अस्वस्थता का कारण  है तो इसे वास्तु के हिसाब से ठीक करावा लेते '
     "वो लम्बा चक्कर था ,बहुत तोड़ फोड़ करानी पड़ती और पैसा भी बहुत लग जाता। हमारे पास एक और प्लाट पड़ा था ,उसे हमने  प्रसिद्ध  वास्तुशास्त्री  की देखरेख में पूरी तरह से वास्तु के  हिसाब से बनवाया है।  अब इस मकान को किराये पर देकर उस नए मकान में रहने जा रहे हैं। "
     'अच्छा ! मुझे यह नहीं पता था कि डागा जी ने वास्तु दोष  की वजह से  मकान बदला था , पर  उनके किरायेदार तो इस मकान को भी  अपने लिए बहुत शुभ बता रहे हैं और  डागा  जी वहां ……   .   


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2 Comments:

At October 4, 2017 at 8:04 AM , Blogger डॉ. दिलबागसिंह विर्क said...

आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 05-10-2017 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2748 में दिया जाएगा
धन्यवाद

 
At October 4, 2017 at 11:41 PM , Blogger गगन शर्मा, कुछ अलग सा said...

भ्रम, मन के !

 

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