वास्तुदोष
लघुकथा
वास्तुदोष
सुबह सैर पर जाते समय पड़ोसी रेड्डी जी ने बताया -- 'गुप्ता जी आपको मालूम है कि डागा जी आई. सी. यू. में है ?'
'नहीं , मुझे तो नहीं मालुम ,क्या हुआ उनको ?'
"सुना है कि ब्रेन हैमरेज हुआ है, अभी कोमा में हैं। "
'अच्छा ! उन से मेरी मुलाकात तो चार पांच महीने पहले तभी हुई थी जब वह अपने दूसरे मकान में रहने जा रहे थे। तब मैने उन से पूछा भी था कि डागा जी आपने इतने मन से यह मकान बनवाया था ,अब इसे छोड़ कर दूसरे मकान में क्यों जा रहे है ?
' फिर उन्होंने क्या कहा ?'
वह बोले -"जब से इस मकान में आया हूँ ,स्वास्थ्य ठीक नहीं चल रहा ,इस में कुछ वास्तु दोष हैं। "
मैने ने कहा था यदि वास्तु दोष ही आपकी अस्वस्थता का कारण है तो इसे वास्तु के हिसाब से ठीक करावा लेते '
"वो लम्बा चक्कर था ,बहुत तोड़ फोड़ करानी पड़ती और पैसा भी बहुत लग जाता। हमारे पास एक और प्लाट पड़ा था ,उसे हमने प्रसिद्ध वास्तुशास्त्री की देखरेख में पूरी तरह से वास्तु के हिसाब से बनवाया है। अब इस मकान को किराये पर देकर उस नए मकान में रहने जा रहे हैं। "
'अच्छा ! मुझे यह नहीं पता था कि डागा जी ने वास्तु दोष की वजह से मकान बदला था , पर उनके किरायेदार तो इस मकान को भी अपने लिए बहुत शुभ बता रहे हैं और डागा जी वहां …… .
Labels: लघुकथा
2 Comments:
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 05-10-2017 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2748 में दिया जाएगा
धन्यवाद
भ्रम, मन के !
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