प्यार पर प्रश्न चिन्ह
लघु कथा
प्यार पर प्रश्न चिन्ह
पवित्रा अग्रवाल
पत्नी ने पति से पूछा ---
"सुनो तुम कहाँ जा रहे हो ?'
"माँ के पास, तुम्हें चलना है तो तुम भी चलो ।'
"ना मुझे तो नहीं जाना पर तुम क्यों जा रहे हो ?'
"क्यों का क्या मतलब है ।...तुम भी तो अपनी माँ के पास जाती हो ? अपनी माँ से
मिलने का मेरा मन नहीं करता क्या ?'
"वह तो आपको जरा भी प्यार नहीं करतीं बल्कि आपकी बुराई ही करती हैं।'
"किस से करती हैं मेरी बुराई ?'
"मुझ से भी करती हैं।'
"तुम भी तो मेरी शिकायत उनसे करती हो... क्या मैं भी तुम्हारे पास आना छोड़ दूँ ?'
"मैं ने तो तुम्हारी शिकायत कभी उनसे नहीं की ?'
"उनको छोड़ो अपने बेटे राहुल की शिकायत तुम मुझ से और मेरी शिकायत राहुल से
नहीं करतीं हो ? तो क्या मैं यह मान लूँ कि तुम हम दोनों को प्यार नहीं करती ?....क्या
मैं और राहुल भी तुम्हारे पास आना छोड़ दें ?'
"तुम तो बात को कहाँ से से कहाँ मोड़ देते हो। बात का बतंगड़ बनाना तो कोइ तुम से
सीखे ।'
"यह भी मैं ने तुम से ही सीखा है।...माँ से मिलने जाने की बात सुनते ही तुमने उनके
प्यार पर ही प्रश्न चिन्ह लगा दिया।'
http://bal-kishore.blogspot.com/
http://laghu-katha.blogspot.com/
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पत्नी ने पति से पूछा ---
"सुनो तुम कहाँ जा रहे हो ?'
"माँ के पास, तुम्हें चलना है तो तुम भी चलो ।'
"ना मुझे तो नहीं जाना पर तुम क्यों जा रहे हो ?'
"क्यों का क्या मतलब है ।...तुम भी तो अपनी माँ के पास जाती हो ? अपनी माँ से
मिलने का मेरा मन नहीं करता क्या ?'
"वह तो आपको जरा भी प्यार नहीं करतीं बल्कि आपकी बुराई ही करती हैं।'
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"उनको छोड़ो अपने बेटे राहुल की शिकायत तुम मुझ से और मेरी शिकायत राहुल से
नहीं करतीं हो ? तो क्या मैं यह मान लूँ कि तुम हम दोनों को प्यार नहीं करती ?....क्या
मैं और राहुल भी तुम्हारे पास आना छोड़ दें ?'
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सीखे ।'
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Labels: लघु कथा
3 Comments:
प्रेम तो पूजा है और हर मानव के [दानव क्या प्रेम करेंगे!] मन मे प्रेम का वास होता है। आदमी प्रेम करना छोड़ दे तो वह जानवर ही बन जाए
Dhanyvad Chandra Moleshwar ji .
नहले पे देहला....
बहुत खूब :-)
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