Saturday, May 9, 2015

डुकरिया

 

 
लघु कथा
 
                                  डुकरिया
                                      
                                                                             पवित्रा अग्रवाल

       ससुराल से पीहर आई बेटी से वहाँ के हाल चाल पूछते हुए माँ ने पूछा -- "तेरी डुकरिया के क्या   हाल हैं ?'
     "कौन डुकरिया माँ ?'
       "अरे वही तेरी सास ।'
 "प्लीज माँ उन्हें डुकरिया मत कहो ...अच्छा नहीं लगता ।'
 "मैं तो हमेशा ही ऐसे कहती हूँ, इस से पहले तो तुझे कभी बुरा नहीं लगा...अब क्या हो गया ?'
 "इस डुकरिया शब्द की चुभन  का अहसास मुझे तब हुआ जब एक बार अपनी सास को भी आपके   लिए इसी शब्द का स्तमाल करते सुना था...यद्यपि उन्हों ने मेरे सामने नहीं कहा था।'              

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-पवित्रा अग्रवाल
  
 
 
ईमेल --  agarwalpavitra78@gmail.com

 
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5 Comments:

At May 9, 2015 at 3:06 AM , Blogger डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (10-05-2015) को "सिर्फ माँ ही...." {चर्चा अंक - 1971} पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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मातृदिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
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At May 9, 2015 at 11:56 PM , Blogger http://bal-kishor.blogspot.com/ said...

bahut bahut dhanyvad.

 
At May 10, 2015 at 2:48 AM , Blogger Kailash Sharma said...

बहुत सुन्दर और सार्थक लघु कथा...

 
At May 14, 2015 at 4:10 AM , Blogger http://bal-kishor.blogspot.com/ said...

bahut bahut dhanyvaad onkar ji

 
At May 14, 2015 at 4:13 AM , Blogger http://bal-kishor.blogspot.com/ said...

मेरे ब्लॉग पर आने और अपनी टिप्पणी देने के लिए बहुत बहुत आभार कैलाश जी .कभी दुसरे ब्लॉग पर भी आयें .

 

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