मेरे लघु कथा संग्रह 'आँगन से राजपथ ' से एक लघु कथा
लघु कथा
सजा
पवित्रा अग्रवाल
लघु कथा
सजा
पवित्रा अग्रवाल
पत्नी ने कहा --"तुम भी अजीब आदमी हो.. तुमने जज साहब पर भी सौ रुपए का फाइन ठोक दिया ।''
" मुझे क्या पता था कि कार ड्राइवर के बाजू वाली सीट पर बैठा व्यक्ति यहाँ का जज है । उन्होंने सीट बैल्ट नहीं लगा रखी थी इसलिए मैंने पर्ची काट दी...वैसे पता भी होता तो मैं ने कोई गलत काम तो किया नहीं है.. अपनी ड्यूटी ही निभाई है ''
पास खड़े पिता ने कहा--"नहीं बेटा तुमने कोई गलती नहीं की है ये रूल्स भी उन्हीं लोगों के बनाए हुए हैं , ड्राइवर ने बैल्ट बाँध रखी थी साथ वाले ने नहीं ,तुमने सौ रुपए जुर्माना करके कोई गल्ती नहीं की,तुम्हें तो इनाम मिलना चाहिए था ।''
वह व्यंग्य से मुस्कराया और बोला--"पापा आप इनाम की बात कर रहे हैं ,यहाँ तो नौकरी खतरे में पड़ गई है ।''
"वो कैसे ?''
"नौकरी बचानी है तो माफी माँगनी पड़ेगी ।''
----
ईमेल -- agarwalpavitra78@gmail.com
मेरे ब्लोग्स
http://Kahani-Pavitra.blogspot .com
" मुझे क्या पता था कि कार ड्राइवर के बाजू वाली सीट पर बैठा व्यक्ति यहाँ का जज है । उन्होंने सीट बैल्ट नहीं लगा रखी थी इसलिए मैंने पर्ची काट दी...वैसे पता भी होता तो मैं ने कोई गलत काम तो किया नहीं है.. अपनी ड्यूटी ही निभाई है ''
पास खड़े पिता ने कहा--"नहीं बेटा तुमने कोई गलती नहीं की है ये रूल्स भी उन्हीं लोगों के बनाए हुए हैं , ड्राइवर ने बैल्ट बाँध रखी थी साथ वाले ने नहीं ,तुमने सौ रुपए जुर्माना करके कोई गल्ती नहीं की,तुम्हें तो इनाम मिलना चाहिए था ।''
वह व्यंग्य से मुस्कराया और बोला--"पापा आप इनाम की बात कर रहे हैं ,यहाँ तो नौकरी खतरे में पड़ गई है ।''
"वो कैसे ?''
"नौकरी बचानी है तो माफी माँगनी पड़ेगी ।''
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