Sunday, October 16, 2016

दुश्मनी

  लघु कथा
               दुश्मनी
                      
                               पवित्रा अग्रवाल


  ‘रामू ,तू तो काम पर गया था ,इतनी जल्दी कैसे आगया ?...आज तेरी छुट्टी है क्या ? ’
  ‘नहीं अम्मा ,सेठ ने काम से निकाल दिया .’
तू तो बोलता है कि सेठ तेरे काम से बहुत खुश हैं ...फिर क्यों निकल दिया ? ’
  'हाँ यह सच है पर सरकार ने बाल मजदूरी पर रोक लगा दी है .अब जो बच्चों से काम कराता हुआ पाया जायेगा उसे पुलिस पकड़ कर ले जाएगी .’
  'फिर तो तेरे भाई की भी नौकरी चली गई होगी...वो नहीं आया ? ’
'अभी आ रहा होगा अम्मा .’
   ‘अब घर का खर्चा कैसे चलेगा बेटा ...मेरी पगार तो घर के किराये में ही चली जाती है .हम गरीबों के बच्चे काम नहीं करेंगे तो क्या करेगे ?...खाली रह कर आवारागर्दी करेगे ’
   'अम्मा वह बच्चों को स्कूल भेजने को बोल रहे हैं .वहां फीस नहीं लगेगी और दोपहर का खाना भी मिलेगा ’
   'स्कूल जाना अच्छी बात है पर एक समय खाना दिया भी तो उससे क्या होगा . स्कूल का समय सुबह या शाम का एसा होना चाहिए कि बच्चे तीन चार घंटे काम भी कर सकें और पढाई भी ’
   'हाँ अम्मा एसा होता तो बहुत अच्छा होता पर ...’
‘तू और तेरा भाई काम के बहाने कूलर बनाने का एक हुनर भी तो सीख रहे थे ’
‘हाँ अम्मा पर अब क्या होगा ?’
   तभी टी वी के एक सीरियल पर उसकी नजर पड़ी जिस में बहुत से बच्चे काम कर रहे थे .उसे देख कर माँ ने आह भरते हुए कहा –‘टी वी पर रोज ऐसे बहुत से कार्यक्रम आते हैं जिसमे तुम से भी छोटे बच्चे काम करते हैं .सुना है यह बच्चे काम करने के लिए अपना गाँव ,शहर छोड़ कर बंबई में रह रहे हैं ‘
   ‘अम्मा सुना है इनको बहुत रूपया भी मिलता है ’  
‘हाँ एक बार मालकिन भी यही कह रही थीं पर सरकार इनको तो काम करने से नहीं रोकती ...जाने हम गरीबों से ही उन्हें क्या दुश्मनी है ? जाओ बेटा ,अभी तो तुम घर जाओ ...मैं काम ख़त्म करके आती हूँ ’

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