दोनो एक हैं
लघु कथा
दोनो एक हैं
पवित्रा अग्रवाल
नेता जी अपनी गाड़ी में बैठे ही थे कि पत्रकार ने रोका--"सर मुझे आप से दो मिनट बात करनी है।'
'अरे अभी नहीं बाद में पूछना ।अभी मैं जल्दी में हूँ,मुझे एयर पोर्ट पहुँचना है ।'
"सर कहीं बाहर जा रहे हैं ?'
"गणतंत्र दिवस समारोह में भाग लेने दिल्ली जा रहा हूँ।'
"सर सिर्फ दो सवाल ।'
"अच्छा सिर्फ दो, जल्दी से पूछो ।'
"सर गणतंत्र दिवस क्यों मनाते हैं ?'
नेता जी सिर खुजाते हुए झल्लाए --"यह भी कोई सवाल है ?'
पी ए ने स्थिति भाँपते हुए बात संभाली --"आप पत्रकार लोग भी नेताओं को इतना बेवकूफ क्यों समझते हैं ?...क्या नेता जी को यह भी नहीं पता होगा कि इस दिन हमारा संविधान लागू हुआ था...अब हटिए नेता जी को देर हो रही है ।'
"बस आखिरी सवाल सर ...हमारा राष्ट्रीय गीत कौन सा है और उसे किसने लिखा था ?'
नेता जी मन ही मन खुश हुए कि कितना आसान सवाल पूछा है बेवकूफ ने।वह पी. ए. को बोलने का मौका दिए बिना बोले -- "क्यों बच्चों के से सवाल पूछ रहे हो,यह तो देश का बच्चा बच्चा जानता होगा कि "जन गण मन' हमारा राष्ट्रीय गीत है और इसे रवीन्द्र नाथ टैगोर ने लिखा था।'
"सर यदि यह राष्ट्रीय गीत है तो फिर हमारा राष्ट्र गान कौन सा है ?'
"दोनों एक ही हैं ' कहते हुए नेता जी ने गाड़ी का दरवाजा बंद कर लिया और एअर पोर्ट की तरफ रवाना हो गए ।'
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