Thursday, February 20, 2020

बेइमान कौन ?

लघुकथा
                       बेइमान कौन ?
                                                    पवित्रा अग्रवाल
   
      मैं ने आटो वाले से कहा-"बाबू ,चार मीनार चलोगे ?'
    "हौ,चलता पर पेंतीस रुपये लगते ।'
    "पर मीटर से तो पच्चीस रुपये होते हैं।'
    "मीटर से तीस के आस-पास आते ,आज कल क्या सस्ता है ?...पेट्राल के दामां रोज बढ़ रए,पॉच रुपये ही तो बढ़ के पूंछरा न अम्मा।'
   "मीटर से चलना है तो चलो'
   "नको मॉ।
    दूसरे .तीसरे आटो वाले से पूछा किन्तु लगा जैसे सबने एका कर रखा है कि मीटर से नही जायेंगे और पेंतीस रुपये ही लेंगे। मेरे साथ चल रही मेरी बिटिया का धैर्य समाप्त होने लगा था-"क्या मम्मी,इतनी तेज धूप है,पांच रुपये में क्या फरक पड़ जायेगा...दे दो न पेंतीस रुपये ...'
     " बेटा बात पांच-दस रुपयो की नही है,इन लोगो ने लूट मचा रखी है।... बेइमान कही के,मीटर होते हुये भी सौदेबाजी करते हैं....आखिर मीटर किस लिये लगा रखे है.'
  तभी एक आटो वाले ने रुक कर पूछा-"अम्मा कही जाना है क्या ?'
   "हां चारमीनार जाना है।'
   उसने बिना किसी हुज्जत के मीटर डालते हुये कहा-"बैठो अम्मा।'
     आटो मे बैठते हुये मै ने एक सफलता भरी मुस्कान से बिटिया को देखा... मन मे एक संतोष भी था कि मैं ने आटो वालों की गैर- वाजिव मांग को नही माना।
      चारमीनार पहुंच कर पैसे देने के लिये मीटर देखा तो सैंतीस रुपये आये थे यानि कि इन महाशय ने मीटर सैट कर रखा था।
  बिटिया ने मुस्करा कर मेरी तरफ देखते हुये आटो वाले को रुपये दे दिये और पूछा-"अब बताइये मम्मी बेइमान कौन था वे या ये ?'

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