Sunday, June 10, 2018

औचित्य

लघुकथा  
                        औचित्य                                        
                                                  पवित्रा अग्रवाल

     एक  किट्टी  पार्टी में विवाह पूर्व जन्मपत्री मिलाने न मिलाने के औचित्य पर चर्चा चल रही थी।
 मिसेज अग्रवाल ने कहा-"हमारे पड़ौसी के बेटे ने लव मैरिज की थी।जन्मपत्री मिलाने का तो मौका ही नही आया।एक वर्ष बाद ही उसकी पत्नी की मौत हो गयी।'
मिसेज खंडेलवाल बोली-"हमारी नन्द को जन्मपत्री मे विश्वास नही है।उनके एक ही बेटा है।उन्होने बिना जन्मपत्री मिलाये शादी की थी।शादी के आठ वर्ष हो गये उस के कोइ संतान नही है।बाद मे बहू की जन्मपत्री पढ़ी तो ज्ञात हुआ कि उस की पत्री मे तो साफ लिखा है कि भाग्य मे संतान सुख नही है जब कि बेटे की जन्मपत्री मे संतान का योग है।अब मेरी नन्द पछताती हैं।'
     बहुत देर से यह बहस सुन रही नम्रता एक दम से बीच मे बोल पड़ी-"सब बकवास है।मेरी शादी तो अच्छी तरह जन्मपत्री मिला कर हुयी थी।मेरे पति की जन्मपत्री मे दो संतानो का व मेरी पत्री मे तीन संतानो का सुख मिलने की बात कही गयी थी....शादी के बारह वर्ष हो गये पर हमारे एक भी संतान नही है।'
   "नही है तो हो जायेगी ...अभी कौन सी तुम्हारी उम्र निकल गयी।...शादी के पन्द्रह-बीस वर्ष बाद तक बच्चे होते सुने गये हैं'-अर्चना ने कहा
  "अरे सुने क्या गये है....मेरी बहन के साथ तो एसा हुआ है ...वह तो बहुत निराश हो गयी थी या कहो उस ने तो आशा ही छोड़ दी थी...शादी के चौदह वर्ष बाद वह माँ बनी।'
     विषय बदल चुका था अब किट्टी पार्टी की महिलायें शादी के बहुत वर्षो बाद अपने परिचितो, रिश्तेदारो के माँ बनने के उदाहरण देने मे व्यस्त हो गयी थीं।
     किन्तु नम्रता की उस चर्चा में तनिक भी रुचि नही थी क्यों कि वह जानती है कि वह मॉ नही बन सकती।यह बात डाक्टर भी कह चुके हैं। 
     -पवित्रा अग्रवाल
मेरे ब्लॉग्स -

Labels: