Sunday, March 1, 2015

वाह देवी माँ

लघु कथा   
                      
    वाह देवी माँ 

                                                                पवित्रा अग्रवाल
     
         "मिसेज गुप्ता कुछ सुना आपने...मिसेज नन्दा बुरी तरह जल गई हैं, अस्पताल में हैं।'
      "ये क्या कह रही हैं आप ...अभी दो तीन घन्टे पहले ही तो मुझे मिली थीं ।उन्हें सुबह सुबह इतनी  जल्दी तैयार देख कर मैं ने पूछा था --"मिसेज नन्दा आज इतनी जल्दी तैयार हो गई हैं ,कहीं  जाना है क्या ?'
      कहने लगीं--"हाँ देवी माँ  के मंदिर में दीया जलाने जाना हैं।.. ड्राइवर का इंतजार कर रही हूँ ,उसे  जल्दी आने को कहा था पर वह अभी आया नहीं है।'
     "मैं ने पूछा भी था कि क्या कोई खास बात हैं ?'
       कहने लगी " मिसेज गुप्ता आपको  तो मालुम है संजू, रवीना को कितना चाहता था किन्तु रवीना के  पिता गैर बिरादरी में शादी करने को तैयार नहीं थे ।तभी मैंने अपने इकलौते बेटे की खुशी के लिये  मन्नत माँगी थी।अब मेरी मनोकामना पूरी हो चुकी है और दोनो हनीमून पर गए हुए हैं तो सोचा मैं  यह काम भी कर आऊँ ।'... तभी उनका ड्राइवर आ गया था और वह चली गई थीं ....'
       "वाह देवी माँ,मनौती पूरी करने के लिए आए अपने भक्त की यह दशा .... बहुत बुरा हुआ।कैसे हो  गया यह सब, ..बच तो  जायेंगी ?'
      " सुना है कि मंदिर में दिया जलाते समय उनके कपडों में आग लग गई थी।..उनके ड्राइवर ने उन्हें अस्पताल पहुँचाया है, हालत नाजुक है।'
 
 
पवित्रा अग्रवाल
मेरा ईमेल --  agarwalpavitra78@gmail.com




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