Thursday, May 10, 2018

दाइत्व

लघुकथा            
                         दाइत्व     
       
                                       - पवित्रा अग्रवाल 

     कराहते हुये माँ ने कहा -"मधु अब टीवी के सामने से उठ भी जा । तेरे पापा के आने का समय होगया है और अभी आटा तक नही मला है।'
 " मम्मी थोडी देर ठहर जाओ न आज मदर्स डे है ...टीवी पर बड़ा अच्छा प्रोग्राम आरहा है,कइ फिल्मी सितारे अपनी मम्मियों के साथ इसमे भाग ले रहे हैं।'
    मॉ चुपके से रसोइ मे चली गयी और परात मे आटा निकालते हुये सोचने लगी कि बच्चे कितने संवेदनहीन होते जारहे है "मदर्स डे' का ये दिन भी बेटी को बीमार माँ के प्रति दायित्व का अहसास नही करा पाया। तभी मधु आगयी -"हटो मम्मी आटा मै मल लूँगी ...आपको डाक्टर ने आराम करने  को कहा है।'
     "वो तेरा मदर्स डे का टीवी प्रोग्राम ....
 "सॉरी माँ मै तो दूसरो की मदर्स का प्रोग्राम देख रही थी और भूल ही गयी थी कि इस समय मेरी माँ को मेरी जरूरत है और मुझ को आपके साथ होना चाहिये । '

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