देश का दुश्मन
लघु कथा
देश का दुश्मन
पवित्रा अग्रवाल
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किशोर वय के बच्चे ने अपनी मम्मी से पूछा -- "मम्मी मैं ने सुना हे पापा किसी आतंकवादी की तरफ से मुकद्दमा लड़ कर उस को बचाने का प्रयास कर रहे हैं ?'
"अच्छा ?'
"आपको नहीं पता ? '
"मुझे क्या पता ...मुझे बता कर वह मुकद्दमा लड़ते हैं क्या ?'
"पर मुझे पता है, वह देश में आंतक फैलाने वाले एक मुजरिम का केस लड़ रहे हैं ।'
"हो सकता है ।'
"पर क्यो मम्मी ?...हमारे देश में आतंक फैला कर सैंकड़ों की जान लेने वाले को पुलिस बड़ी मुश्किल से दूसरे देश से पकड़ कर लाइ है,उसके बचाव में केस लड़ना क्या गलत नहीं ?'
"बेटा वकीलों का तो काम ही ये होता है,जिसके वकील होते हैं उसे बचाने का प्रयास करते हैं,भले ही वह दोषी हो।'
"मम्मी ये तर्क मेरे गले नहीं उतर रहा है। मेरी समझ में एक देशद्रोही को सजा से बचाने वाले को देश प्रेमी तो नहीं कहा जा सकता ।'
"अच्छा ?'
"आपको नहीं पता ? '
"मुझे क्या पता ...मुझे बता कर वह मुकद्दमा लड़ते हैं क्या ?'
"पर मुझे पता है, वह देश में आंतक फैलाने वाले एक मुजरिम का केस लड़ रहे हैं ।'
"हो सकता है ।'
"पर क्यो मम्मी ?...हमारे देश में आतंक फैला कर सैंकड़ों की जान लेने वाले को पुलिस बड़ी मुश्किल से दूसरे देश से पकड़ कर लाइ है,उसके बचाव में केस लड़ना क्या गलत नहीं ?'
"बेटा वकीलों का तो काम ही ये होता है,जिसके वकील होते हैं उसे बचाने का प्रयास करते हैं,भले ही वह दोषी हो।'
"मम्मी ये तर्क मेरे गले नहीं उतर रहा है। मेरी समझ में एक देशद्रोही को सजा से बचाने वाले को देश प्रेमी तो नहीं कहा जा सकता ।'
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