शुभ मुहूर्त
लघुकथा
शुभ मुहूर्त
पवित्रा अग्रवाल
जैसे जैसे नीता के प्रसव समय पास आरहा था ,घर
में पंडितों का आना जाना बढ़ गया था .पंडितों से कोई एसा शुभ
समय बताने को कहा जा रहा था जिसमें ऐसे बच्चे का जन्म
कराया जा सके जो हर तरह से बहुत भाग्यशाली हो .
डॉक्टरों ने नोरमल डिलीवरी होने की उम्मीद जताई थी
.पंडितों के एक समूह ने गृह – नक्षत्रों के हिसाब से गणना करके
एक शुभ दिन, शुभ समय बच्चे के लिए बताया था .परिवार के
लोग डाक्टर से अनुनय –विनय करके बच्चे का जन्म पंडितों द्वारा
बताये समय पर करने की जिद्द कर रहे थे ,उसके लिए चाहे
ओपरेशन ही कियों न करना पड़े .
बहुत लालच देने के बाद भी डाक्टर ने उनके हिसाब
से चलने को मना कर दिया था .तो ससुराल वाले नीता को दूसरे
डाक्टर के पास ले जाना चाहते थे .
अब तक नीता ख़ामोशी से सब देख सुन रही थी पर अब
उसके सब्र की सीमा समाप्त हो गई थी .उसने सॉरी कहते हुए
स्पष्ट कह दिया था कि न तो मै डाक्टर बदलूंगी और न ही शुभ
मुहूर्त के चक्कर में अपना पेट कटने दूँगी.स्वाभाविक रूप से जब
डिलीवरी का समय आएगा तभी अस्पताल जाऊंगी.'
-------
Labels: लघुकथा