दिखावा
लघु कथा
दिखावा
पवित्रा अग्रवाल
नीना बीमार बहन को देखने के लिये अपने बच्चों को सहेली के पास छोड़ कर बहुत लम्बा सफर तय कर के आई थी ।जीजा जी चिड़ कर बोले यहाँ सब दिखावा करने आते हैं,आई हैं तो यहाँ रुकिये ,काम में कुछ मदद कीजिए,वाशिंग मशीन में कपड़े पड़े हैं उन्हे धोइये ऐसे आने से क्या फायदा ।'
आज मेरी बहन बेहोशी की हालत में है तो आप बात करने की भी तमीज भी भूल गए,..आप तो मुझे बहुत थैंक लैस आदमी लगते हैं। मैं न सही यहाँ रहने वाले मेरे सभी भाइ बहन तन मन धन से आपके साथ लगे हैं और आप इस तरह की बात कर रहे हैं...हमारा दुख, हमारा आना आप को दिखावा लग रहा है।।चलिए यही सही मैं तो दिखावा करने ही आई हूँ किन्तु आपके घरवाले तो सौ-दो सौ किलो मीटर की दूरी पर ही रहते हैं,वह तो एक बार दिखावा करने भी नहीं आए।'
"क्या आयें इन्होंने किसी से बना कर ही नहीं रखी ।'
"इसने न सही आपने तो बना कर रखी थी, आपकी पत्नी मृत्यु शैया पर है इस से बड़ा दुख आप पर और क्या पड़ेगा ...पर आप के दुख में भी कोई झांकने नहीं आया और बात करते हैं हमारे दिखावे की ।'
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