शिकायत क्यों ?
लघुकथा
शिकायत क्यों ?
पवित्रा अग्रवाल
बाहर से आई रेनु ने मम्मी को फोन का रिसीवर रखते देख कर पूछा "किस का फोन आया था मम्मी ?'
" नाना जी का था ।'
"क्या कह रहे थे ?'
"कहना क्या है,कभी जिन्दगी में कुछ नहीं जोड़ा,कुछ होगा भी तो देने की इच्छा नहीं होगी।मैंने तेरी दीदी की शादी के लिये पचास हजार रुपये की मदद माँगी थी तो कहने लगे ' मेरे पास इतने रुपये कहाँ से आये,अब इस बुढ़ापे में मुझ से काम धाम नहीं होता. अपना गुजारा ही मुश्किल से होता है,जो था तुम चारो बेटियों की शादी मे लगा दिया ।'
"ठीक तो है मम्मी,इस में बुरा मानने की क्या बात है।.आपको वृद्ध नाना जी से मदद नहीं माँगनी चाहिये थी।उन्हों ने कुछ बचाया हो या न बचाया हो पर आप चारों की शादी करके अपनी जिम्मेदारी तो पूरी की है न,अब यदि थोड़ा बहुत बचाया हुआ है भी तो उन्हे अपने लिये भी तो चाहिये,जरूरत पर वह किस के सामने हाथ फैलायेंगे ?'
"क्या इस मुसीबत के समय में उनका हमारे लिये कोई फर्ज नहीं है ?'
मम्मी जिनका फर्ज था वही एक तरह से सड़क पर छोड़ गये तोे दूसरों से क्या गिला करना ? ..पापा की मौत के समय दीदी बीस इक्कीस वर्ष की थीं, आप लोगों ने ही कहाँ कुछ जोड़ा,वरना पहली लड़की की शादी की तैयारी तो अपने पास होनी ही चाहिये थी।पापा होते तब भी शादी कहाँ से व कैसे कर देते ?'
" तेरा कहना गलत तो नहीं है बेटा पर जिस धन्धे में हाथ डाला वही नहीं चला,..क्या करते बेचारे ?'
"पापा के इतने भाई हैं,उनमें से भी कोई मदद को आगे नहीं आया तो बेचारे नाना जी से ही शिकायत क्यों ?'
-पवित्रा अग्रवाल
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