श्रद्धांजलि
लघुकथा
श्रद्धांजलि
पवित्रा अग्रवाल
स्कूल जाते बच्चे ने एक जगह बहुत सारे लोगों को मोमबत्ती जला कर खड़े देखा। उसने अपने पिता से पूछा "बाबा दिन में इतने सारे लोग मोमबत्ती जला कर क्यों खड़े हैं ?'
"बेटा पिछले दिनो बम धमाकों में जो लोग मारे गए थे, उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए यह लोग यहाँ इकट्ठे हुए हैं।'
"उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए इतनी सारी मोमबत्तियां जलाई हैं ?'
"हाँ '
"पर क्यों बाबा... अपने यहाँ तो पहले फूल चढ़ाते थे,मौन रखते थे अब ये मोमबत्ती क्यों ?'
बाबा क्या कहें कि विदेशों की नकल करके अब श्रद्धांजलि देना भी यहाँ एक दिखावा बनता जा रहा है।'
बाबा को चुप देख कर बच्चा पुन: बोला – ‘ बाबा यहाँ बहुत से घरों में अंधेरे में जलाने को एक मोमबत्ती नहीं होती और यहाँ सैकड़ो मोमबत्ती दिन में जलाई जा रही हैं।'
-----
-पवित्रा अग्रवाल
Labels: लघुकथा