डुकरिया
लघु कथा
डुकरिया
पवित्रा अग्रवाल
ससुराल से पीहर आई बेटी से वहाँ के हाल चाल पूछते हुए माँ ने पूछा -- "तेरी डुकरिया के क्या हाल हैं ?'
"कौन डुकरिया माँ ?'
"अरे वही तेरी सास ।'
"प्लीज माँ उन्हें डुकरिया मत कहो ...अच्छा नहीं लगता ।'
"मैं तो हमेशा ही ऐसे कहती हूँ, इस से पहले तो तुझे कभी बुरा नहीं लगा...अब क्या हो गया ?'
"इस डुकरिया शब्द की चुभन का अहसास मुझे तब हुआ जब एक बार अपनी सास को भी आपके लिए इसी शब्द का स्तमाल करते सुना था...यद्यपि उन्हों ने मेरे सामने नहीं कहा था।'
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ससुराल से पीहर आई बेटी से वहाँ के हाल चाल पूछते हुए माँ ने पूछा -- "तेरी डुकरिया के क्या हाल हैं ?'
"कौन डुकरिया माँ ?'
"अरे वही तेरी सास ।'
"प्लीज माँ उन्हें डुकरिया मत कहो ...अच्छा नहीं लगता ।'
"मैं तो हमेशा ही ऐसे कहती हूँ, इस से पहले तो तुझे कभी बुरा नहीं लगा...अब क्या हो गया ?'
"इस डुकरिया शब्द की चुभन का अहसास मुझे तब हुआ जब एक बार अपनी सास को भी आपके लिए इसी शब्द का स्तमाल करते सुना था...यद्यपि उन्हों ने मेरे सामने नहीं कहा था।'
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-पवित्रा अग्रवाल
ईमेल -- agarwalpavitra78@gmail.com
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