नेकी कर ...
लघु कथा
नेकी कर ...
पवित्रा अग्रवाल
मोना ने अपनी सहेली अंजना से कहा –मेरे पति बहुत अच्छे और दूसरों की मदद करने वाले इन्सान हैं .अपने और दूसरे बहुत से लोगों को उन्हों ने सेटिल किया है ,पर आज कल लोग किसी का अहसान नहीं मानते...मैं जब इनसे कहती हूँ तो कहते हैं ‘नेकी कर और कूए में डाल ’
‘अच्छा ! तुम्हारे पति ने किस तरह से लोगों को सैटिल होने मैं मदद की है ?’
‘आप तो जानती ही हो कि हमारा होलसेल का व्यापार है,कितने ही लोगों को प्रोत्साहित किया है की मैं मॉल भेजता हूँ तुम बेचो और पैसा भी माल बिकने के बाद भेज देना .खुद ब्याज पर पैसा ले रखा है लेकिन पार्टीज को उधार देते हैं .’
सहेली मन ही मन मुस्कराई और सोचा अपना माल बेचने के लिए हर व्यापारी यही करता है .मेरे पति भी यही करते हैं ...इस में नेकी कहाँ से आगई ...पर दोस्ती में दरार न आये इस लिए हर बात का जवाब देना जरुरी नहीं होता .इसलिए वह चुप रही .
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