Friday, October 5, 2012

पाप -पुण्य

लघु कथा             
         
                      पाप -पुण्य         
 
                                                                  पवित्रा अग्रवाल
 
 वसुधा अपनी पड़ौसन मिसेज रेड्डी से बात कर रही थी तभी उनका बेटा पप्पू भागता
हुआ आया --"मम्मी  आपके किचन में एक छिपकली घुस आई है,भगा दूँ वरना कहीं खाने में न गिर जाये ।'
 "छिपकली कहाँ से आ गई..  सब खिड़की दरवाजों पर तो जाली लगी है ।'
 "जरूर आपकी काम वाली ने पोछा लगाते समय दरवाजा खुला छोड़ दिया होगा ।..लाओ आप झाड़ू दो,  उस से भगा देता हूँ ।'
 "अरे बेटा छिपकली ही तो है भाग जायेगी अपने आप...वो तो सभी घरों में रहती हैं ,हमारे यहाँ भी हैं।'  मिसेज रेड्डी ने कहा
 "पर आन्टी हमारे घर में तो एक भी नहीं है,कभी आ जाती है तो हम  उसे भगा देते हैं।..मम्मी झाड़ू दो न ।'
 "बेटा संभाल कर निकालना कहीं मर न जाए..वरना पाप लगेगा ।'
 "आप पाप पुण्य मानती हैं आन्टी ?'
 "हाँ, पर वो तो सभी मानते हैं ।'
 "एक बात पूछूँ आन्टी ?'
 "हाँ पूछो ।'
 "आन्टी,मेरे हाथ से छिपकली मर जाने पर मुझे पाप लगेगा पर कुछ दिन पहले पूजा में आपने बकरी   कटवाई थी तब आपको पाप नहीं लगा था ?'


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-पवित्रा अग्रवाल
 

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