Tuesday, August 14, 2018


लघुकथा 
                             समर्थ

पवित्रा अग्रवाल

विपिन के लौटते ही माँ ने रवि से कहा --"रवि तू तो कह रहा था कि तेरा दोस्त विपिन बहुत पैसे वाले घर का लड़का है,उसने कितनी घिसी हुई जीन्स पहन रखी थी,उसमें छेद भी हो रहा  था ।''
"हाँ माँ यह सच है वाकई वह बहुत पैसे वाले घर का लड़का है।उसके घर में दो एयर कंडीशन्ड कारें हैं,घर में ए.सी. लगे हैं।इस सब के बावजूद उसे रहीसी दिखाने का शौक नहीं है ,वह बहुत सिम्पिल लड़का है, घमंड तो उस में नाम मात्र को नहीं है।''
"तू भी कुछ सीख उस से ,तेरे तो कितने नखरे हैं।तेरी स्कूल यूनिर्फोम की पेंट कुछ ऊँची हो गई थी मैं ने इतनी मेहनत करके उसे खोल कर लम्बा किया फिर भी तूने उसे नहीं पहना और मुझे दूसरे खर्चो  में कटौती कर के नई पेन्ट खरीदनी पड़ी ।''
"अरे माँ वह पैसे वाले घर का लड़का है,उसकी घिसी जीन्स को फैशन या उसकी सादगी कहा जाएगा और हम पहन लें तो उसे हमारी आर्थिक कमजोरी समझा जाएगा।''
   'पर बेटा लोग कुछ भी सोचें .हम को अपनी हैसियत और जरुरत  के हिसाब से खर्च करना चाहिये '

ईमेल   agarwalpavitra78@gmail.com /

Labels: