एक सच्चाई
पवित्रा अग्रवाल
दरवाजे की घंटी बजा कर उसने तालियों से अपने आने की सूचना दी .
दरवाजा खोलते ही घर की मालकिन कुछ चिढ़ कर बोली ‘क्या अब तुम लोगो ने मौत
पर भी ताली बजाने और बख्शीश मांगने का काम शुरू कर दिया है ?’
‘ हमें नहीं पता था कि यहाँ किसी की मौत हो गई है .हर दो- चार महीने में एक बार
हमारे कुछ साथी यहाँ आते हैं.वे कहते हैं यहाँ की मालकिन बहुत अच्छी है.कभी गुस्सा
नहीं होती और हमेशा कुछ न कुछ जरूर देती है .हम भी उनमे से एक हैं पर इस बार
कुछ ज्यादा समय हो गया ,हम यहाँ नहीं आ पाए ’
‘ठीक है बैठ ,मैं अभी आती हूँ ’
‘नहीं गमी में हमें कोई बख्शीश नहीं चाहिए ... वैसे किस की मौत हो गई ?’
‘मेरे पति की ’
‘आप अकेली दिख रही हैं, बच्चे कहाँ हैं ? ’
‘बेटी की शादी हो गई थी वह सिंगापुर में और बेटा अमेरिका में है ’
‘हाय हाय बाप के मरे में भी कोई नहीं आया ?’
' एक बार आने में उनका बहुत पैसा और समय खर्च होता है फिर भी आये थे पर
जल्दी ही चले गए . उनकी भी अपनी जिम्मेदारियां हैं .बेटी का सुबह शाम फोन आ जाता है .’
उनकी आँखों में आँसू देख कर वह विचलित होगई –‘ आप को बुरा न लगे तो हमारा
नाम व मोबाईल न.अपने मोबाइल में सेव कर लें .हमारा नाम बेला है .छोटा मुंह बड़ी
बात कह रही हूँ कभी किसी तरह की जरूरत महसूस हो तो फोन करें ,हम हमेशा आपके
साथ हैं ’
‘पर तुम मेरी मदद क्यों करोगी ?’
‘बस इंसानियत के नाते .कुछ और भी बुजुर्ग हैं जिन्होंने हमें कभी दुत्कारा नहीं पर अब
अकेले हैं. हम लोग कभी कभी उनके पास मिलने जाते रहते हैं . हमारे मन को शांति
मिलती है .हम अभागों की तो न कोई माँ है,न बाप पर
किसी ने तो हमें भी जन्म दिया ही होगा ... '
आंसू पोंछते हुए माँजी ने कहा ‘ठीक है बेला अपना नंबर मुझे दे जाओ ’ भावुक
होते हुए माँजी अपना भेद खोल बैठीं ... ‘मुझे भी पहला बच्चा किन्नर ही पैदा हुआ था
पर घर वालों ने अस्पताल में ही बुला के किसी को दे दिया था .पूरी जिन्दगी मैं उसका
गम पाले रही .’
यह सच्चाई बेला भी जानती है थी पर बिना कुछ कहे आंसू भरी आँखों से वह
लौट गई .
------